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EXCLUSIVE: कभी घर-घर अखबार बेचने के लिए मजबूर हो गए थे रवि किशन

भोजपुरी फिल्मों के महानायक रवि किशन आज (17 जुलाई) अपना 49वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे हैं. अपनी दमदार एक्टिंग से लोगों के दिलों पर राज करने वाले रवि किशन को अपनी पहचान बनाने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. उन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया, तब जाकर आज रवि किशन किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. रवि किशन का रियल नेम रविंद्र नाथ शुक्ला था. रवि किशन को अभिनय का शौक कब हुआ, उन्हें खुद याद नहीं है़, लेकिन रेडियो में गाने की आवाज इनके पैर को थिरकने पर मजबूर कर देती थी. कहीं भी शादी हो, अगर बैंड की आवाज उनके कानों में गई तो वो खुद को कंट्रोल नहीं कर पाते थे. 
मां सीता की भूमिका से की अभिनय की शुरुआत
यही वजह रही कि जब नवरात्र की शुरुआत हुई, तो उन्होंने पहली बार अभिनय की ओर कदम रखा. गांव के रामलीला में उन्होंने माता सीता की भूमिका से अभिनय की शुरुआत की. उनके पिताजी पंडित श्यामनारायण शुक्ला को यह कतई पसंद नहीं था कि उनके बेटे को लोग नचनियां-गवैया कहें, इसलिए मार भी खानी पड़ी पर बालक रविंद्र के सपनों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. रवि किशन की मां ने उन्हें कुछ पैसे दिए और इस तरह अपने सपनों को साकार करने के लिए रवि मुंबई पहुंच गए.
घर-घर अखबार बांटते थे रवि किशन
मां मुम्बा देवी की नगरी काफी इम्तिहान लेती है़. गांव का रविंद्र नाथ शुक्ला यहां आकर रवि किशन तो बन गया, पर मंजिल आसान नहीं थी. संघर्ष के लिए पैसों की जरूरत थी, इसीलिए उन्होंने सुबह-सुबह पेपर बांटना शुरू कर दिया आज जिन अखबारों में उनके बड़े-बड़े फोटो छपते हैं, कभी उन्हीं अखबारों को सुबह-सुबह वह घर-घर पहुंचाया करते थे. यही नहीं, पेपर बेचने के अलावा उन्होंने वीडियो कैसेट किराए पर देने का काम भी शुरू कर दिया. इन सबके बीच बांद्रा में उन्होंने पढ़ाई भी जारी रखी. पुरानी मोटरसाइकल से वे अपना फोटो लेकर इस ऑफिस से उस ऑफिस भटकते रहते थे और जब पेट्रोल के पैसे नहीं रहते तो पैदल ही घूम-घूमकर निर्माता निर्देशकों से मिलते रहते थे.

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