भोजपुरी सुपरस्टार खेसारीलाल यादव अभिनीत भोजपुरी फिल्म ‘राजा जानी’ 13
जुलाई को बिहार, झारखंड, नेपाल, कोलकाता, मुंबई और गुजरात रिलीज हो चुकी
है, जिसको दर्शकों का शानदार रेस्पांस मिल रहा है। प्रकृति फिल्म्स के
बैनर तेल बनी ‘राजा जानी’ अब दूसरे सप्ताह में भी शान से सभी शो हाउसफुल
चल रहे हैं। फिल्म को दर्शकों से मिल रहे प्यार के बाद खुश निर्देशक
लालबाबू पंडित से हमने फिल्म से जुड़े पहलुओं पर बात की।
सवाल : आपकी दूसरी भोजपुरी फिल्म ‘राजा जानी’ की सफलता का राज क्या है ?
लालबाबू पंडित : सबसे पहले मैं अपने दर्शकों और फिल्म की पूरी यूनिट का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा। जहां तक बात फिल्म की है, तो मेरी इस फिल्म को जो लोगों ने प्यार दिया है, वो अद्भुत है। लोगों का कहना है कि अब भोजपुरी फिल्मों से महिला दर्शकों का दूराव होता जा रहा है। महिलाएं अब भोजपुरी फिल्में देखने सिनेमाघरों में नहीं जाती हैं। मगर हमने एक बार फिर से उन महिला दर्शकों को सिनेमाघरों में वापसी कराई। यह हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है।
सवाल : आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या है, जो आपकी पहली सुपरहिट फिल्म ‘जिला चंपारण’ से भी ज्यादा पसंद की जा रही है?
लालबाबू पंडित : भोजपुरी में मेरी पहली फिल्म ‘जिला चंपारण’ थी, जिसे लोगों ने कहा कि हिंदी और साउथ की फिल्मों का मिक्सचर है। बावजूद इसके फिल्म खूब चली थी। लेकिन ‘राजा जानी’ पूरी तरह से भोजपुरी के संस्कार और समाज का रिफलेक्शन है। इसमें अपनाहित है और लोगों को लगता है कि ये उनकी ही कहानी है। इसलिए भी ‘राजा जानी’ दर्शकों को खूब पसंद आ रही है। आखिर कौन नहीं अपनी कला, कल्चर और संस्कृति को पसंद करता है।
सवाल : सुपर स्टार खेसारीलाल के साथ यह आपकी दूसरी फिल्म है। कोई खास वजह ?
लालबाबू पंडित : मैं बिहारी के चंपारण से आता हूं और बंगाल में रहता हूं। बंगला फिल्में बनाता हूं। मगर अपनी भोजपुरी माटी से भी प्रेम है। इसलिए मैं खेसारीलाल यादव का फैन उनके गानों से हुआ। फिर जब भोजपुरी में फिल्म बनाने की सोची तो मैं मुंबई गया। वहां मुझे उनसे मिलने में 15 दिन लग गए। इस दौरान किसी ने मुझे भरोसा दिलाया और मैंने अपना पेशेंस बनाये रखा। इसके बाद जब उनसे मेरी बात हुई तो वे फिल्म के लिए रेडी हो गए। वे काफी यूनिक पर्सनालिटी हैं। सेट पर उपनर स्टारडम हावी नहीं होता है और वे पैक अप होने तक वैनिटी में नहीं जाते हैं। यह उनका काम के प्रति समर्पण को दिखाता है।
सवाल : निर्माता सुरेंद्र प्रसाद के साथ आपकी ये दूसरी फिल्म है। क्या आगे भी उनके साथ काम करेंगे?
लालबाबू पंडित : क्यों नहीं। वे बेहद सुलझे हुए और काबिल निर्माता हैं। उन्होंने मुझे हमेशा मोरल और फाइनेंसियल सपोर्ट किया। इसके अलावा वे काफी अच्छे इंसान हैं और फिल्म में वे दखल अंदाजी नहीं करते। सबों को काम करने की पूरी आजादी देते हैं। सेट पर सबों का ख्याल रखते हैं। वे दोस्त की तरह पेश आते हैं। उनके साथ काम करके सबको मजा आता है। मुझे खास कर उनके साथ काम करना पसंद आता है, इसलिए मैंने उनके साथ दूसरी फिल्म की और आगे भी करूंगा। ऐसे निर्माता बहुत कम ही मिलते हैं। सुरेंद्र प्रसाद एक ऐसे निर्माता हैं, जिनके पास फिल्म की समझ है। वे जानते हैं कि दर्शकों को क्या पसंद आयेगी और सिनेमा का किस सब्जेक्ट से कितना भला होगा। निर्माता सुरेंद्र प्रसाद की तीसरी फिल्म ''कुल्ली नंबर वन'' की तैयारी में लगा हु ,अक्टूबर में इस फिल्म की शूटिंग बिहार और झारखण्ड में किया जायेगा !
सवाल : अपनी फिल्मों की कास्टिंग के बारे में बतायें। ‘राजा जानी’ की कास्टिंग कैसे की?
लालबाबू पंडित : मैं हमेशा अपने फिल्मों की कास्टिंग स्टोरी के आधार पर करता हूं। जहां तक ‘राजा जानी’ की कास्टिंग की बात है, तो इसमें खेसारलाल यादव के अलावा प्रीति विश्वास और देबो स्मिता को कास्ट किया। इन्होंने काफी अच्छा काम किया। इसके अलावा आनंद मोहन, संजय महानंदा ने भी फिल्म को बेहतर बनाया। खेसारीलाल यादव, आनंद मोहन और संजय महानंदा जब एक फ्रेम में हो तब कॉमिक टाइम जबरदस्त होती है। यह इस फिल्म में भी लोगों को पसंद आ रहा है। अर्जित सेन गुप्ता का भी शुक्रगुजार हूं और अपनी धर्मपत्नी सुरूचि पंडित का विशेष तौर पर शुक्रिया अदा करना चाहूंगा, जो मेरे साथ हमेशा खड़ी रहती हैं।
सवाल : गानों का चयन कैसे करते हैं और अश्लीलता के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
लालबाबू पंडित : मेरी फिल्मों में गानों का चयन कहानी बेस्ड ही होता है। ‘राजा जानी’ के लिए गाने प्यारे लाल, आजाद सिंह और श्याम देहाती ने लिखे, जिसमें खुद खेसारीलाल यादव ने रूचि दिखाई और हमने बैठ कर गीतकारों को सिचुएशन दिया और उन्होंने गाने लिखे। इसमें धनंजय मिश्रा ने संगीत दिया। कुल मिला कर देखें तो ये पूरी तरह से टीम वर्क है। बात अश्लीलता की है तो भोजपुरी से ज्यादा वलगैरिटी हिंदी फिल्मों में होती है, मगर बदनाम भोजपुरी को कर दिया जाता है।
सवाल : चलते – चलते दर्शकों से कुछ कहना चाहेंगे ?
लालबाबू पंडित : सबसे पहले तो मैं उनका शुक्रिया अदा करना चाहूंगा कि वे इस फिल्म को इतना प्यार दे रहे हैं। साथ ही ये भी कहना चाहूंगा कि बिना फिल्म देखे कोई राय नहीं बनाये। ये सच है कि कुछ लोगों ने फिल्मों को खराब किया है, मगर अच्छी फिल्मों को देखें और उसे सराहे। इससे अच्छी फिल्में बनाने वाले फिल्मकारों को हौसला मिलेगा, तभी तो वे अच्छी फिल्में बनायेंगे। हम लोग २२ जुलाई से खेसारी लाल और टीम के साथ बिहार में प्रमोशन करने जा रहे है आप लोगो के नजदीकी सिनेमाघरों में तो आप लोग अपना आशीर्वाद देने जरूर आये सिनेमा घरो में !
सवाल : आपकी दूसरी भोजपुरी फिल्म ‘राजा जानी’ की सफलता का राज क्या है ?
लालबाबू पंडित : सबसे पहले मैं अपने दर्शकों और फिल्म की पूरी यूनिट का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा। जहां तक बात फिल्म की है, तो मेरी इस फिल्म को जो लोगों ने प्यार दिया है, वो अद्भुत है। लोगों का कहना है कि अब भोजपुरी फिल्मों से महिला दर्शकों का दूराव होता जा रहा है। महिलाएं अब भोजपुरी फिल्में देखने सिनेमाघरों में नहीं जाती हैं। मगर हमने एक बार फिर से उन महिला दर्शकों को सिनेमाघरों में वापसी कराई। यह हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है।
सवाल : आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या है, जो आपकी पहली सुपरहिट फिल्म ‘जिला चंपारण’ से भी ज्यादा पसंद की जा रही है?
लालबाबू पंडित : भोजपुरी में मेरी पहली फिल्म ‘जिला चंपारण’ थी, जिसे लोगों ने कहा कि हिंदी और साउथ की फिल्मों का मिक्सचर है। बावजूद इसके फिल्म खूब चली थी। लेकिन ‘राजा जानी’ पूरी तरह से भोजपुरी के संस्कार और समाज का रिफलेक्शन है। इसमें अपनाहित है और लोगों को लगता है कि ये उनकी ही कहानी है। इसलिए भी ‘राजा जानी’ दर्शकों को खूब पसंद आ रही है। आखिर कौन नहीं अपनी कला, कल्चर और संस्कृति को पसंद करता है।
सवाल : सुपर स्टार खेसारीलाल के साथ यह आपकी दूसरी फिल्म है। कोई खास वजह ?
लालबाबू पंडित : मैं बिहारी के चंपारण से आता हूं और बंगाल में रहता हूं। बंगला फिल्में बनाता हूं। मगर अपनी भोजपुरी माटी से भी प्रेम है। इसलिए मैं खेसारीलाल यादव का फैन उनके गानों से हुआ। फिर जब भोजपुरी में फिल्म बनाने की सोची तो मैं मुंबई गया। वहां मुझे उनसे मिलने में 15 दिन लग गए। इस दौरान किसी ने मुझे भरोसा दिलाया और मैंने अपना पेशेंस बनाये रखा। इसके बाद जब उनसे मेरी बात हुई तो वे फिल्म के लिए रेडी हो गए। वे काफी यूनिक पर्सनालिटी हैं। सेट पर उपनर स्टारडम हावी नहीं होता है और वे पैक अप होने तक वैनिटी में नहीं जाते हैं। यह उनका काम के प्रति समर्पण को दिखाता है।
सवाल : निर्माता सुरेंद्र प्रसाद के साथ आपकी ये दूसरी फिल्म है। क्या आगे भी उनके साथ काम करेंगे?
लालबाबू पंडित : क्यों नहीं। वे बेहद सुलझे हुए और काबिल निर्माता हैं। उन्होंने मुझे हमेशा मोरल और फाइनेंसियल सपोर्ट किया। इसके अलावा वे काफी अच्छे इंसान हैं और फिल्म में वे दखल अंदाजी नहीं करते। सबों को काम करने की पूरी आजादी देते हैं। सेट पर सबों का ख्याल रखते हैं। वे दोस्त की तरह पेश आते हैं। उनके साथ काम करके सबको मजा आता है। मुझे खास कर उनके साथ काम करना पसंद आता है, इसलिए मैंने उनके साथ दूसरी फिल्म की और आगे भी करूंगा। ऐसे निर्माता बहुत कम ही मिलते हैं। सुरेंद्र प्रसाद एक ऐसे निर्माता हैं, जिनके पास फिल्म की समझ है। वे जानते हैं कि दर्शकों को क्या पसंद आयेगी और सिनेमा का किस सब्जेक्ट से कितना भला होगा। निर्माता सुरेंद्र प्रसाद की तीसरी फिल्म ''कुल्ली नंबर वन'' की तैयारी में लगा हु ,अक्टूबर में इस फिल्म की शूटिंग बिहार और झारखण्ड में किया जायेगा !
सवाल : अपनी फिल्मों की कास्टिंग के बारे में बतायें। ‘राजा जानी’ की कास्टिंग कैसे की?
लालबाबू पंडित : मैं हमेशा अपने फिल्मों की कास्टिंग स्टोरी के आधार पर करता हूं। जहां तक ‘राजा जानी’ की कास्टिंग की बात है, तो इसमें खेसारलाल यादव के अलावा प्रीति विश्वास और देबो स्मिता को कास्ट किया। इन्होंने काफी अच्छा काम किया। इसके अलावा आनंद मोहन, संजय महानंदा ने भी फिल्म को बेहतर बनाया। खेसारीलाल यादव, आनंद मोहन और संजय महानंदा जब एक फ्रेम में हो तब कॉमिक टाइम जबरदस्त होती है। यह इस फिल्म में भी लोगों को पसंद आ रहा है। अर्जित सेन गुप्ता का भी शुक्रगुजार हूं और अपनी धर्मपत्नी सुरूचि पंडित का विशेष तौर पर शुक्रिया अदा करना चाहूंगा, जो मेरे साथ हमेशा खड़ी रहती हैं।
सवाल : गानों का चयन कैसे करते हैं और अश्लीलता के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
लालबाबू पंडित : मेरी फिल्मों में गानों का चयन कहानी बेस्ड ही होता है। ‘राजा जानी’ के लिए गाने प्यारे लाल, आजाद सिंह और श्याम देहाती ने लिखे, जिसमें खुद खेसारीलाल यादव ने रूचि दिखाई और हमने बैठ कर गीतकारों को सिचुएशन दिया और उन्होंने गाने लिखे। इसमें धनंजय मिश्रा ने संगीत दिया। कुल मिला कर देखें तो ये पूरी तरह से टीम वर्क है। बात अश्लीलता की है तो भोजपुरी से ज्यादा वलगैरिटी हिंदी फिल्मों में होती है, मगर बदनाम भोजपुरी को कर दिया जाता है।
सवाल : चलते – चलते दर्शकों से कुछ कहना चाहेंगे ?
लालबाबू पंडित : सबसे पहले तो मैं उनका शुक्रिया अदा करना चाहूंगा कि वे इस फिल्म को इतना प्यार दे रहे हैं। साथ ही ये भी कहना चाहूंगा कि बिना फिल्म देखे कोई राय नहीं बनाये। ये सच है कि कुछ लोगों ने फिल्मों को खराब किया है, मगर अच्छी फिल्मों को देखें और उसे सराहे। इससे अच्छी फिल्में बनाने वाले फिल्मकारों को हौसला मिलेगा, तभी तो वे अच्छी फिल्में बनायेंगे। हम लोग २२ जुलाई से खेसारी लाल और टीम के साथ बिहार में प्रमोशन करने जा रहे है आप लोगो के नजदीकी सिनेमाघरों में तो आप लोग अपना आशीर्वाद देने जरूर आये सिनेमा घरो में !
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